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Bhaiya Duj kab ki hai: भैया दूज कब की है इस दिन मनाया जाता है 2024।

Bhaiya Duj kab ki hai इस साल भाई दूज का त्योहार रविवार, 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। भाई दूज की तिथि शनिवार, 2 नवंबर को रात 8:21 बजे शुरू होकर रविवार, 3 नवंबर को शाम 7:52 बजे समाप्त हो रही है, लेकिन उदया तिथि के अनुसार मुख्य समारोह रविवार को रखा गया है। शुभ मुहूर्त के लिए, दोपहर 1:10 बजे से 3:22 बजे के बीच का समय विशेष रूप से अच्छा माना गया है, जब बहनें अपने भाइयों को तिलक कर सकती हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य व लंबी उम्र की कामना कर सकती हैं​

इस दिन को विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जैसे महाराष्ट्र में इसे भाऊ बीज कहा जाता है और पश्चिम बंगाल में भैया फोंटा।

भाई दूज भारतीय त्योहारों में एक महत्वपूर्ण दिन है, जिसे भाई-बहन के प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह दिवाली के ठीक दो दिन बाद आता है और इसे अलग-अलग नामों से विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है, जैसे महाराष्ट्र में इसे “भाऊ बीज” और पश्चिम बंगाल में “भाई फोंटा” के नाम से जाना जाता है। इस साल भाई दूज का पर्व रविवार, 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा, और इस दिन के मुख्य तिलक का मुहूर्त दोपहर 1:10 बजे से 3:22 बजे तक है​ Bhaiya Duj kab ki hai

भाई दूज का महत्व और इतिहास

Bhaiya Duj kab ki hai ज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित करने का एक अद्वितीय अवसर है। इसकी मान्यता है कि इस दिन यमराज, जो मृत्यु के देवता हैं, अपनी बहन यमुनाजी से मिलने गए थे। यमुनाजी ने अपने भाई का स्वागत कर उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाया, जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने यह वचन दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक कराएगा, उसे लंबी आयु और समृद्धि प्राप्त होगी। इस प्रकार, भाई दूज का पर्व भाई-बहन के बीच आपसी प्यार, सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक बन गया​ Bhaiya Duj kab ki hai

भाई दूज की परंपराएं

भाई दूज पर, बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और कल्याण की कामना करती हैं। यह तिलक आमतौर पर चंदन, हल्दी, और अक्षत (चावल के दाने) का होता है। इसके बाद, बहनें अपने भाइयों को मिठाई खिलाती हैं, और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। इस त्यौहार पर भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा करने का संकल्प लिया जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में इस त्यौहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है: Bhaiya Duj kab ki hai

  1. महाराष्ट्र में इसे “भाऊ बीज” कहा जाता है, जहां बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष पूजा का आयोजन करती हैं और उन्हें कड़वे फल (करित) का सेवन कराती हैं, जो त्याग का प्रतीक होता है।
  2. पश्चिम बंगाल में इसे “भाई फोंटा” कहा जाता है, जिसमें बहनें उपवास रखती हैं और तिलक के लिए विशेष सामग्री जैसे चंदन, काजल, और घी का उपयोग करती हैं।
  3. बिहार में एक अनोखी परंपरा है जहां बहनें अपने भाइयों को शुभकामनाओं के साथ कुछ हंसी-मजाक करती हैं, जिसे बुरी नजर से बचाने का प्रतीक माना जाता है Bhaiya Duj kab ki hai

भाई दूज परंपराओं का धार्मिक महत्व

भाई दूज के दिन यमराज और यमुनाजी की कहानी का धार्मिक महत्व है, जो यह दर्शाता है कि भाई-बहन का रिश्ता कितना पवित्र और अटूट होता है। इस दिन की पूजा और तिलक अनुष्ठान से यह भी मान्यता है कि भाई को बुरी नजर से सुरक्षा और लंबी उम्र मिलती है। इसके अलावा, भगवान कृष्ण की एक और कथा है जिसमें वे नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिले थे और उसने उन्हें तिलक किया। इस कारण भी इस दिन का विशेष महत्व है और भाई-बहन के रिश्ते को भगवान से जोड़कर देखा जाता है।Bhaiya Duj kab ki hai

कैसे करें भाई दूज पूजा

भाई दूज की पूजा के लिए सबसे पहले एक थाली तैयार की जाती है, जिसमें तिलक के लिए चंदन, हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई, और एक नारियल शामिल होता है। पूजा की शुरुआत बहन अपने भाई का तिलक करके करती है और उसकी सुख-समृद्धि की कामना करती है। इसके बाद भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देता है और उसे उपहार भेंट करता है। पूजा के समय पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाया जाता है।

आधुनिक समय में भाई दूज का महत्व

आजकल, भाई दूज सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि शहरी इलाकों में भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है। जो भाई-बहन दूर रहते हैं, वे एक-दूसरे को वीडियो कॉल करके और ऑनलाइन उपहार भेजकर इस पर्व को मनाते हैं। बदलते समय के साथ, इस पर्व का स्वरूप बदला जरूर है, लेकिन इसके महत्व और प्रेम में कोई कमी नहीं आई है। भाई दूज का त्योहार न केवल परंपराओं का पालन करता है बल्कि भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का एक अवसर भी प्रदान करता है। Bhaiya Duj kab ki hai

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते का वह पवित्र दिन है, जब वे एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम और जिम्मेदारियों का इज़हार करते हैं। यह दिन हमें अपने परिवार के रिश्तों की अहमियत को याद दिलाता है और हमारे जीवन में भाई-बहन के रिश्ते की अनमोलता को समझाता है। Bhaiya Duj kab ki hai

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